राजस्थान के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल, किले, स्मारक व संरचनाएँ

राजस्थान के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल, किले, स्मारक व संरचनाएँ


सावित्री मंदिर

अजमेर पदायिक सदभाव का संगम, 'राजस्थान के हृदय स्थल' व 'भारत के पक्का' के नाम प्रसिद्ध।

: पुष्कर (अजमेर) में स्थित विश्व का प्रसिद्ध द्या मंदिर। यह 14 जनाब्दी में निर्मित विश्व चयाका

एकमात्र मंदिर है, जहाँ विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।

: पुष्कर के दक्षिण में रत्नागिरी पर्वत पर ब्रह्माजी की पत्री पावित्री का मौदायित है। सोनी जी नसियाँ : स्व. सेठ मूलचंद जी सोनी द्वारा निर्मित यह जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है। इस प्रथम जैन तीर्थंकर (लाल मंदिर) आदिनाथ भगवान की मूर्ति एवं समवशरण की रचना दर्शनीय है।

सलेमाबाद : यह निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रधान पीठ है। 1. अटाई दिन का झोंपड़ा : मूलतः प्रथम चौहान सम्राट बीसलदेव द्वारा निर्मित संस्कृत पाठशाला, जिये मुहम्मद गोरी के पनापति

कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से 1210 ई. के मध्य अढाई दिन के झोंपड़े में परिवर्तित कर दिया। पृथ्वीराज स्मारक : तारागढ़ पहाड़ी पर चौहान सम्राट पृथ्वीराज तृतीय का स्मारक 13.1.1996 को राष्ट्र का समापन किया गया। , आनासागर झील : पृथ्वीराज के दादा अर्णोराज द्वारा 1135-50 (NCERT कथा के अनुसार 11373.)कमध्या निमित

झील। यहाँ सम्राट जहांगीर द्वारा दौलत बाग एवं शाहजहाँ द्वारा 1627 ई. में संगमरमर बारहरी का

निर्माण करवाया गया। • फॉय सागर : सन् 1891-92 में अकाल राहत कार्यों के अधीन अभियंता श्री फाय द्वारा बांडी नदी पर निर्मिती

: अजमेर शहर के उत्तर पश्चिम में 11 किमी दूरी पर स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल । यहाँ पवित्र पुष्कर झील है, जिसमें 52 घाट हैं । पुष्कर को आदि तीर्थ व तीर्थराज कहा गया है। पुष्कर का एक अन्य

नाम 'कोकण तीर्थ' भी था। यहाँ प्रसिद्ध पौराणिक स्थल पंचकुण्ड स्थित है। • दरगाह, अजमेर : हजरत शेख उस्मान हारुनी के शिष्य ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह । दरगाह में हर वर्ष हिनी सन् के

रज्जब माह की 1 से 6 तारीख तब विशाल उर्स भरता है जो साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा उदाहरण है। • शाहजहानी मस्जिद : दरगाह की इस इमारत का निर्माण शाहजहाँ द्वारा 1638 ई. में करवाया गया था।

मैग्जीन या अकबर ; मुस्लिम दुर्ग निर्माण पद्धति से बनाया गया राज्य का एकमात्र दुर्ग। यह अकबर द्वारा 1571-72 ई. में सुरक्षित * का किला (स्थल दुर्ग) आवास स्थल के रूप में निर्मित किया गया था। सम्राट जहाँगीर इसी दुर्ग की खिड़की में बैठकर जनता

की फरियाद सुनते थे। सर टॉमस रो यहीं पर जहाँगीर से मिला था। 1908 से राजपूताना अजायबघर (राजकीय

संग्रहालय) इसी में है। • टॉडगढ़ (गिरी दुर्ग) : कर्नल जम्स टॉड द्वारा निर्मित्त । पूर्व में यह स्थान बोराड़वाड़ा कहलाता था। + गढ़बीठली/तारागढ़। : राजा अजयपाल द्वारा अजमेर शहर की बीठली पहाड़ी पर 7वीं सदी में निर्मित । इसे राजस्थान का जिब्राल्टर' अजयमेरू दुर्ग (गिरीदुर्ग) कहा जाता है । मेवाड़ के राणा रायमल के युवराज पृथ्वीराज ने अपनी वीरांगना पत्नी तारा के नाम पर

इसका नाम तारागढ़ रखा। प्रसिद्ध मुस्लिम संत मीरां साहब (तारागढ़ के प्रथम गवर्नर मीर सैयद हुसैन) की दरगाह स्थित । दरगाह में घोड़े की मजार भी है।

अलवर "राजस्थान के सिंह द्वार' नाम से प्रसिद्ध अलवर की स्थापना रावराजा प्रताप सिंह द्वारा की गई। • जैन मंदिर, तिजारा : यहाँ 8वें जैन तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का विशाल मंदिर है। • मूसी महारानी की छतरी : अलवर में महाराजा बख्तावर सिंह और मूसी महारानी की स्मृति में बनी इस दो मंजिली छतरी (80

_ कलात्मक स्तंभों पर टिकी) का निर्माण अलवर महाराजा विनय सिंह ने करवाया था। • विजय मंदिर पैलेस : 1918 में महाराजा जयसिंह द्वारा निर्मित्त । यहाँ सीताराम का भव्य मंदिर भी है। • पुर्जनविहार (शिमला) : महाराजा शिवदान सिंह द्वारा निर्मित्त अनुपम बगीचा। इसे कम्पनी गार्डन भी कहते हैं । इसमें स्थित समर

हाउस, जिसे 'शिमला' कहते हैं का निर्माण महाराजा मंगल सिंह जी ने करवाया था। • होप सर्कस : 1939-40 ई. में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो के अलवर आगमन पर उनकी पुत्री मिस होप के

नाम पर बनाया गया। • सरिस्का

: राजस्थान का दूसरा टाइगर प्रोजेक्ट (बाघ परियोजना)। यहाँ नौगजा का जैन मंदिर भी है। यहाँ पर महाराजा जयसिंह ने ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग की यात्रा के लिए 1902 में एक शानदार महल'सरिस्का पैलेस' बनवाया था।

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