राजस्थान सामान्य ज्ञान लक्ष्य

• सिलीसेव पाल

मित्त भव्य महल। महाराजा विपरिह द्वारा अपनी रागी शीला के लिए सिलीगढ़ झील के किन प्राकृतिक पवन रथला कहा जाता है कि सातवास के दौरान पांडवा का डाका कौरवों की सना ने माग पहाता निकाला था। तभी यह स्थान पाडुपात

• बाला कित्ता (अलवर दुर्ग)। वि से 100 में आगे नोश काकिल देव के पा अलपुराय द्वारा निर्मित एक

निर्मित एक गिरीदुर्ग। • कालवाड़ी दुर्ग । सरिस्का अगाणा वित।

गरा करवाया गया था। • चोधराणा का किला पंचमहल' के नाम से विख्यात इस किले का निर्माण 1464 है । चौहान

वडा नागराणा (अलवर) म पजिली बावडी का निर्माण राजा टोडरमल ने करवाया था।

पैसा की तिरियाँ अलवर में सरिस्का वन को है।

बाँसवाड़ा 'सौ द्वीपों के शहर' के रूप में प्रसिद्ध बांसवाडा राज्य की नीव महारावल उदयसिंह के पत्र महारावल जगमालसिंह ने डाली थी। . धोरिया अम्बा यहाँ अम्बा माता धाम के अलावा पोटेश्वर महादेव, पाण्डव कम और केलपानी पवित्र तीर्थ है। • पूणो के रणजेडाबर यहाँ भगवान रणछोहराम की प्रतिमा है। प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला एकादशी को यहाँ मेला भरता है। • कालिंजरा

कालिजरा गाँव बांसवाड़ा में हिरन नदी के किनारे पर बसा है, जहाँ ऋषभदेव जी का प्रसिद्ध मंदिर है। •णित (बाँसवाड़ा) यहाँ विक्रम को 12 वी शती का ब्राजी का मंदिर है तथा छिछ देवी का प्राचीन मंदिर है। • आधूणा के मंदिर ये मंदिर बागढ़ के परमार राजाओं ( ।।वीं-12वीं सदी) द्वारा निर्मित हैं। उस समय वागड़ परमारों की

राजधानी थी। प्राचीन ग्रंथों में इसका नाम उत्थूनक मिलता है। •बिपुर सुंदरी मंदिर : तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) से पाँच किमी. दूर स्थित त्रिपुर सुंदरी का मंदिर स्थानीय लोगों में 'तुरताई पाता

के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ काले पत्थर की देवी की मूर्ति है। • वागड़ के कल्प वृक्ष : बाँसवाड़ा रतलाम मार्ग पर स्थित एक प्राचीन उद्यान में दो कल्पवृक्ष वृक्ष स्थित हैं।

• भण्डदेवरा शिवमंदिर, हाड़ौती का खजुराहो कहा जाने वाला यह मंदिर 10 वीं शताब्दी में मेदवंशीय राजा मलयवर्मा द्वारा रामगढ़

निर्मित्त है। यह देवालय पंचायतन शैली का उत्कृष्ट नमूना है। इसे 'राजस्थान का मिनी खजुराहो'

भी कहा जाता है। • गड़गव देवालय, अटरू : इस मंदिर का निर्माण काल 10वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। • काकूनी मंदिर समूह : ये बारां जिले की छीपाबड़ौद तहसील में मुकुन्दरा की पहाड़ियों में परवन नदी के किनारे स्थित हैं। • सीताबाड़ी : कैलवाड़ा गाँव के निकट सीताबाड़ी में सीता व लक्ष्मण का प्राचीन मंदिर तथा वाल्मिकी मंदिर है। • औस्तीजी की बावड़ी : शाहबाद कस्बे (बारों) के पास दो बावड़ियाँ दर्शनीय हैं- औस्तीजी की बावड़ी तथा तपसी की बावड़ी। • शाहबाद दुर्ग : मुकुन्दरा पर्वत श्रेणी की भामती पहाड़ी पर परमारों द्वारा निर्मित्त दुर्ग। इसमें सावन भादों महल स्थित है।

इसे चौहान राजा मुक्तामन (मुकुटमणिदेव) द्वारा पुननिर्मित्त कराया गया। . नाहरगढ़

: किशनगंज तहसील में दिल्ली के लाल किले की शैली में निर्मित्त दुर्ग। किले में नेकनाम बाबा की दरगाह

स्थित है। • शेरगढ़ (कोशवर्द्धन) दुर्ग : बारों में परवन नदी के किनारे स्थित दुर्ग जिसका नाम शेरशाह सूरी के नाम पर शेरगढ़ रखा गया। • थानेदार नाथूसिंह की : थानेदार नाथूसिंह ने 20 सितम्बर, 1932 को डाकुओं से मुकाबला किया। उनकी स्मृति में कोटा महाराव छतरी, शाहबाद, बारौँ उम्मेदसिंह ने इस छतरी का निर्माण करवाया।

बाड़मेर • श्री रणछोड़रायजी का : यह प्रमुख वैष्णव तीर्थ एवं हिन्दुओं का पवित्र धाम है। खेड़ में भूरिया बाबा तथा खेडिया बाबा रेबारियों खेड़ मंदिर,

के आराध्य देव हैं। • मल्लीनाथ मंदिर : तिलवाड़ा में यह मंदिर मल्लीनाथ जी का समाधि स्थल है।

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