Government to Government Rafale Deal

Rafale Deal 


➡ क्या है Government to Government डील ?

अक्सर कोई भी देश किसी 
दूसरे देश से जब भी कोई रक्षा क्षेत्र में सौदा करता है
तो दूसरा देश सिर्फ अनुमति देता है 
और फिर डील उस Defence कंपनी के साथ होती है। 

Defence Deals में हमेशा से बिचौलियों या डीलर्स का रोल रहा है।

ज्ञात हो कि 'Rafale Deal' में कोई बिचौलिया या डीलर नही है, 
ये डील डायरेक्ट India की सरकार और France की सरकार के बीच हुई है, 
अर्थात ट्रेज़री से पैसा सीधे फ्रांस सरकार की ट्रेज़री में जायेगा।


➡ क्या होता है Availability Rate ?

जब कोई देश लड़ाकू जहाज़ खरीदता है तो उसमें एक सबसे प्रमुख फैक्टर होता है Availability Rate का, 
भारत अभी तक सिर्फ 45% अवेलेबिलिटी रेट पर लड़ाकू जहाजों के कॉन्ट्रैक्ट साइन करता रहा है। 

45% Availability Rate का अर्थ ये है कि यदि 100 लड़ाकू ज़हाज़ खरीदे गए तो उनमें से सिर्फ 45 जेट्स ही किसी भी समय युद्ध के लिए उपलब्ध अथवा तैयार होने की गारंटी है। 

Rafale Deal में अवेलेबिलिटी रेट 75% है। 

इसके लिए 300 मिलियन यूरो अतिरिक्त खर्च किया गया है।


➡ क्या होता है Weapon Package ?

Fighter Jets की खरीद में अक्सर हथियारों को सम्मिलित नही किया जाता, 

अभी तक हथियार बाद में अलग से खरीदे जाते रहे हैं। Rafale Deal में भारतवर्ष ने पूरा Weapon Package लिया है। 

MTCR का मेंबर होने के चलते 560 किलोमीटर दूरी तक प्रहार करने वाली 'SKALP' मिसाइल खरीदी हैं, 
इसके अलावा 150 km तक हवा से हवा में प्रहार करने वाली 'Meteor' मिसाइल भी खरीदी गई हैं। 

36 Rafale जहाजों में जितने भी Missile, Bombs या Rockets इत्यादि लगेंगे वो डील के साथ खरीदे गए हैं। 

इसके अतिरिक्त हथियारों के लिए स्टोरेज फैसिलिटी भी बनाएगा फ्रांस।


➡ Rafale Deal में क्या है India Specific चेंज ?

ये एक प्रमुख फैक्टर है 
जिसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नही है। 

IAF ने Rafale लड़ाकू जेट्स में कुछ बदलाव करवाये हैं और कुछ अतिरिक्त इक्विपमेंट्स को शामिल किया है 
जिनमें Helmet Sights, Radar Receiver, Radio Altimeter, Doppler राडार, Cold Start इत्यादि शामिल हैं, 
इनसे Rafale की मारक क्षमता में और भी ज्यादा बढ़ोत्तरी हो गई है। 

इनके लिए 1.7 बिलियन यूरो अतिरिक्त खर्च किया गया है। 


➡ क्या 126 के बदले सिर्फ 36 जहाज़ खरीदे मोदी सरकार ने ?

जी नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है, 36 लड़ाकू जहाज़ तो डायरेक्ट खरीद लिए गए हैं जो की फ्लाई-अवे कंडीशन में आएंगे 
और इसके अतिरिक्त 110 लड़ाकू जहाज़ों का अलग टेंडर और जारी कर दिया गया है 
जो की भारत में 'Make In India' के अंतर्गत निमित होंगे 

अर्थात अब 126 के बदले कुल 146 लड़ाकू जहाज़ भारतीय वायुसेना के लिए खरीदे जायेंगे 

और CAG की रिपोर्ट में ये स्पष्ट हो गया है की ये 36 जेट्स पहले की तुलना में कम समय में भारतीय वायुसेना में शामिल हो जायेंगे।


➡ क्या होता है Offset ?

जब हम Offset बोलते हैं
तो Obligation शब्द छोड़ देते हैं, 

पूरा शब्द है 'Offset Obligation'. 
यहां पर ये एकदम स्पष्ट होना चाहिए कि 59,000 करोड़ की Rafale Deal में 50% ओफ़्सेट का अर्थ ये बिल्कुल नही है 
कि 59,000 करोड़ में से 30,000 करोड वापस आ जायेगा। 

बल्कि Offset का अर्थ ये है कि France भारत की कंपनियों के साथ 30,000 करोड़ रुपये तक का निवेश करेगा 
वो भी अगले 5 से 10 सालों में। 

ऐसी 100 से ज्यादा अलग अलग जॉइंट कंपनियां बनाई जाएंगी। 
UPA की MMRCA में सिर्फ 30% Offset का प्रावधान था 
अभी NDA की Rafale Deal में 50% का ओफ़्सेट Obligation हो रहा है। 

➡ क्या है Offset और HAL तथा Reliance का द्वंद ?

France जो Offset Obligation के वादे के अनुरूप 30,000 करोड़ रुपये भारत की 100 अलग अलग कंपनियों के साथ इन्वेस्ट करेगा Reliance-Dassault का वेंचर भी उनमें से एक है। 

इस वेंचर के हिस्से में 850 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट होगा जिसमें Reliance के हिस्से का इन्वेस्टमेंट मात्र 426 करोड़ रुपये है, न कि पूरा का पूरा 30,000 करोड़। 

इसके अलावा पुराने एग्रीमेंट के अनुसार France की कंपनी भारत की किसी भी कंपनी के साथ Offset साझा करने के लिए स्वतंत्र है, 

और इन 100 वेंचर्स में से फिलहाल कोई भी Rafale के पार्ट्स नही बनाएगा। 

HAL ने स्पष्ट कर दिया है की वो ओफ़्सेट में डील नही करता।


➡ Rafale Deal पर क्या रहा SC और CAG का रुख ?

Rafale डील को लेकर
SC में सुनवाई हुई, सारे दस्तावेज़ देखने के बाद SC ने ये बिलकुल स्पष्ट कर दिया 
की Rafale डील की खरीद की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है 
हलाकि SC ने Rafale डील के दामों और उसकी टेक्निकल बातों पर प्रक्रिया देने से मना कर दिया, 

बाद में CAG की रिपोर्ट भी सामने आ गई जिसमें राफेल डील को क्लीन चिट मिल गई और ये स्पष्ट हो गया 
की NDA सरकार की राफेल डील UPA सरकार की MMRCA डील से सस्ती और बेहतर है।

2019 में SC ने पुनर्विचार याचिकाओं को भी रद्द कर दिया और 2018 का जजमेंट मान्य रखते हुए मोदी सरकार को 'Rafale Deal' में क्लीन चिट दे दी।   


➡ क्या है MMRCA डील का इतिहास ?

कारगिल युद्ध से अनुभव लेते हुए भारतीय वायुसेना ने 2001 में तत्कालीन एनडीए सरकार के समक्ष पुराने Mig-21 जहाज़ों को बदलने करने के लिए 126 नए लड़ाकू जहाज़ों की आवश्यकता का प्रस्ताव रखा था, 

जिस पर चर्चा की गई और 2004 में NDA सरकार ने RFI जारी कर दी।

2004 में सरकार बदलने के बाद 2007 में RFP जारी करि गई, टेक्निकल डिसकशंस चालू हुए और 2010 तक चले, 2011 में Rafale को सेलेक्ट कर लिया गया। 

टेंडर जारी हुआ और 2012 में Rafale लोवेस्ट बिडर के रूप में सेलेक्ट हुआ।



➡ क्या है Rafale Deal की फाइल चोरी होने की कहानी ?

Rafale Deal की कोई फाइल गायब नहीं हुई है बल्कि 
वो डॉक्यूमेंट जिसकी फोटोकॉपी को Crop करके कुछ दिन पहले The Hindu ने ब्लॉग छापा था 
और फिर Rahul Gandhi ने हंगामा किया था,
 वो दरअसल Defence मिनिस्ट्री से किसी ने चुरा कर फोटोकॉपी करके उन्हें उपलब्ध कराया था।


#RafaleDeal


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