Nagaur army recruitment big case : नागौर सेना भर्ती बडा मामला

 नागौर सेना भर्ती बडाः मामला 

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नागौर के हजारों विद्यार्थियों का भविष्य नागौर के जनप्रतिनिधियों की हवाई बातों की वजह से खराब हुआ है, जो भर्ती  साल मे एक बार नागौर मे करवाई जाती थी 

वो भर्ती किस कारण से नागौर से हटा कर दूसरे जिलो के साथ करवाई जा रही हैं । और भर्ती  जिन जिलो के साथ करवाई जा रही है वो सारे 9-10 जिले एक तरफ और हमारा नागौर एक तरफ तो भी उन सब जिलो से नागौर जिले के फार्म अधिक भरे जाते है हर साल और ऐसे देश सेवा वाले जिले की भर्ती हटा दी गई।

और राजनेताओ को किसी भी युवाओ के भविष्य की कोई परवाह नही है । , जिस दौर के अंदर विद्यार्थियों को नागौर के जनप्रतिनिधियों से उम्मीद थी वह समय जनप्रतिनिधियों द्वारा हवा के अंदर बातें करते हुए ट्वीट के माध्यम से केंद्र सरकार को चेता रहे थे और युवाओं को भरोसा दिलाया कि जब तक हम हैं नागौर सेना भर्ती नागौर में ही होकर रहेगी बल्कि चुनाव से पहले तो यह भी वादा रहा था कि 1 साल में 2 सेना भर्ती नागौर जिला मुख्यालय पर होगी लेकिन माननीय जनप्रतिनिधियों की लापरवाही की वजह से दो भर्तियों को छोड़कर जो भर्ती कई सालों से नागौर जिला मुख्यालय पर होती आ रही थी वह अब जोधपुर मुख्यालय पर होगी!

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हमारी   भर्ती   नागौर  भर्ती   


सरकार जो  तीन नए कानून किसानों के लिए लाई है  तीनो के तीनो बिल्कुल किसान को खत्म कर देने वाले कानून हैं

(सभी जागरूक कृषक इसे अवश्य पढ़ें

हालिया समय में केंद्र सरकार 3 विषयों पर कृषि अध्यादेश ले के आई है जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी है। ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। एक तरफ सरकार व अनेक अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि कोरोनावायरस काल में सिर्फ किसानों की मेहनत/कर्षि क्षेत्र के आधार पर ही देश की अर्थव्यवस्था का पहिया घूम रहा है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार MSP पर खरीद बन्द कर के किसानों का शोषण करने में लगी हुई है। अगर देखा जाए तो आज भी किसानों को C2+50% के अनुसार फसलों का MSP नहीं मिल रहा है लेकिन उसके बावजूद किसान किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे हैं। यदि सरकार ने MSP पर खरीद को बंद कर दिया तो खेती किसानी के साथ-साथ देश की खाद्यान सुरक्षा भी बड़े संकट में फंस जाएगी। 


केंद्र सरकार की मंशा:-

                                             इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा। यह बात आप सब जानते ही होंगे कि हमारी केंद्र सरकार के ऊपर WTO का दबाव है कि किसानों को मिलने वाला MSP एवम हर प्रकार की सब्सिडी केंद्र सरकार समाप्त करे। इस से पहले भी कांग्रेस व बीजेपी की सरकारों ने MSP को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाने की असफल कोशिश की लेकिन किसानों के दबाव के सामने उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े। अब केंद्र सरकार कोरोनावायरस के कारण लगे लॉकडाउन का अनैतिक तरीके से फायदा उठाकर ये तीनों अध्यादेश ले के आई है, सरकार को लगता है कि कोरोनावायरस के कारण किसान बड़े पैमाने पर इकठ्ठे हो कर प्रदर्शन नहीं कर सकते इसलिये सरकार ने यह कदम उठाया। किसानों के विरोध को भांपने के लिए अब की बार मक्के व मूंग का 1 भी दाना MSP पर नहीं खरीदा गया, आगे आने वाले समय में केंद्र सरकार गेहूं व धान की MSP पर खरीद भी बन्द करने की दिशा में बढ़ रही है। 


केंद्र सरकार जो 3 कृषि अध्यादेश ले के आई है, हम उन्हें विस्तार से आपके सामने रखते हैं। 


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